कभी फुर्सत मिले न तो..
एक काम करना थोड़ी सी मिट्टी लेना..
उससे दो प्यारी मूर्ति बनाना..
एक तुम जैसा एक मुझ जैसा..
फिर उनको तोड़ देना..
फिर दुबारा उन्हीं मिट्टी से दो मुर्ति बनाना...
एक तुम जैसा एक मुझ जैसा..
ताकि तुझमे कुछ-कुछ मैं रह जाउं..
और मुझमें कुछ-कुछ तुम रह जाओ...😊😊
एक काम करना थोड़ी सी मिट्टी लेना..
उससे दो प्यारी मूर्ति बनाना..
एक तुम जैसा एक मुझ जैसा..
फिर उनको तोड़ देना..
फिर दुबारा उन्हीं मिट्टी से दो मुर्ति बनाना...
एक तुम जैसा एक मुझ जैसा..
ताकि तुझमे कुछ-कुछ मैं रह जाउं..
और मुझमें कुछ-कुछ तुम रह जाओ...😊😊
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